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शुक्रवार, 24 मई 2019

शब-ए-कद्र का एहतिमाम करें: मौलाना खालिद रशीद

 


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शब-ए-कद्र का एहतिमाम करें: मौलाना खालिद रशी


लखनऊ। रमजानुल मुबारक के तीसरे जुमे को अपने खुतबे में नाजिम दारूल उलूम फंरगी महल मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने कहा कि अल्लाह के इंआमों में से एक इंआम रमजानुल मुबारक कामहीना है जिसमें एक एक नेकी का सत्तर से सात सौ गुना तक अल्लाह तआला अपने बंदों को सवाब देता है, इससे नेकी की एैसी फिजा और माहौल बन जाता है कि बंदे के दिल का झुकाव बुराई की तरफ कम और अच्छाई की तरफ ज्यादा से ज्यादा हो। इसी मुबारक महीने में रोज़े जैसे अहम्तरीन रुक्न-ए-इस्लाम को फर्ज किया कि इसका दिन रोज़े की हालत में गुज़ारा जायेगा, इस में रोज़ा रखने का बदला अपने लिए खास़ किया। इसका पहला अशरा रहमत, दूसरा अशरा मग़फिरत और तीसरा अशरा जहन्नम से छुटकारा है। रमजानुल मुबारक के इस महीने में नेक अमल को आसान बनाने के लिए शैतानों को कैद कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कुरान मजीद में तीन तरह के विषय हैं। एक अकीदा कि खुदा पाक पूरी दुनिया का मालिक है। उसने दुनिया को पैदा करके उसको दूसरों के हवाले नही कर दिया है बल्कि वह हर समय पूरी कायनात को अपनी मर्जी के मुताबिक़ चला रहा है। इस लिए हम सब को अपनी जरूरतें इसी एक मालिक के सामने रखनी चाहिएं। उसका बेहतरीन तरीका दुआ है। दुआ से बन्दे में खाक़सारी पैदा होती है जो खुदा पाक को बहुत पसंद है और दुआ न करने से तकब्बुर पैदा होता है जो खुदा पाक को सबसे अधिक नापसंद है। मौलाना ने कहा कि इस माह की बहुत बड़ी बरकत है कि हम ने कुछ रातों में कुरान मजीद सुना। हम पर यह जिम्मेदारी है कि कुरान मजीद के अहकाम से वाकिफ हों। उसके हुकमों पर अमल करें। बाक़ी बचे हुए दिनों में फर्ज, सुन्नत, नवाफिल, तरावीह और तहज्जुद की पाबन्दी करें। शब-ए-कद्र का एहतिमाम करें। अपने माल की जकात निकालें, सदका फित्र अदा करें ताकि गरीब भी ईद की खुशियाँ हासिल कर सकें। उन्होंने कहा कि यह महीना हमदर्दी और गमख्वारी का महीना है। इस का हम अमली सुबूत दें।


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