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शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

1991 से अब तक जनसंख्या मे लगातार गिरावट है जनसंख्या के आधार से 1991 से 2017 सबसे शानदार दशक 

1991 से अब तक जनसंख्या मे लगातार गिरावट है जनसंख्या के आधार से 1991 से 2017 सबसे शानदार दशक 


दहकती खबरें 
अंजुम खान 


दोस्तों हर जगह भीड़ देखकर लगता है की हमारी जनसंख्या कितनी बढ़ गई है पर ये भ्रम है हमारी जनसंख्या लगातार गिर रही है जी दोस्तों TFR यानी टोटल fertility रेट से पता लगाया जा सकता है की जो भारत मे महिला है वो कितने बच्चों को जन्म दे रही है क्या वह आबादी को ज़्यादा बड़ा रही है जो चाइल्ड baring age होती यानी वो उम्र जिस उम्र तक वह बच्चे पैदा कर सकती है फिलाल जो राष्ट्रीय औसत है वो 2.2 है यानी 2.2 बच्चे यानी अगर इसके हिसाब से देखा जाये तो sample रजिस्ट्रेशन सिस्टम जो है सरस् जो  भारत सरकार के अंतर्गत रजिस्टर जनरल ऑफ इंडिया के अंतर्गत आता है वह ये कह रहा है जो रिप्लेसमेंट रेट है यानि जितने व्यक्तियों की मौत हो जाती है और जितने नये बच्चों का जन्म होता है उनके बीच का अंतर बहुत कम है 2.2 नये बच्चों पैदा हो रहे है 2.1 जो रिप्लेसमेंट का रेट है1971 से 1981 तक 5.2 TFR से  4.5 पर हम आये 1991से 2017 का दशक जनसंख्या के अनुसार शानदार रहा 3.6 TFR से घट कर 2.2 तक आ गये बतया जारहा है 2001से 2011तक  अब तक का सबसे अच्छा समय रहा  अनपढ़ महिला का 2.9 tfr है पड़ी लिखी महिला 2.1 है ग्रेजुएट महिला का 1.4 है नेशनल औसत है 2.2 है इससे पता चलता है की यदि जनसंख्या को नियंत्रित करना चाहते है तो महिला की पढ़ाई मे धयान दे उनको कॉलेज जाने दीजिये उनको पड़ने दीजिये महिला सशक्तिकरण मे ज़ोर दीजिये उनको अपने पैरो मे खडे होने दीजिये इस समय सरस् 2017 का आकड़ा दर्शाता है TFR वो रूरल और अर्बन छेत्रो मे तेज़ी से कम हो रहा है और रिप्लेसमेंट लेवल जो है 2.1 यानी अगर 2.1 है तो जनसंख्या की नेट इनक्रीस नहीं हो रहा है वह स्टेबल जनसंख्या कहलाता है वह 19 राज्यों मे हमने हासिल कर लिया है अर्बन एरिया मे 2.1 के निचे है कुछ राज्यों मे आबादी 2.2 से ज़्यादा है वो राज्य है  बिहार 3.2 जो 2006 मे 4 पर थी इसमें भी कमी आयी है U.P  जो 2006 मे 4.1 था जो अब गिर के 3 पर आ गया है M.P  2006 मे 3.5 से गिर के 2.7 आ गया है राजस्थान 2006 मे 3.5 था अब 2.6 आ गया है ये आकड़ा 2016 तक है  अब 2019 है ये भी लगभग 2.1 के  करीब आ चूका होगा झारखण्ड 2..5 छत्तीसगढ़ 2.4 और  आसाम 2.3 है    और जो राज्य नेशनल एवरेज से कम है यानी 2.2से कम वह है  महाराष्ट्र 1.7 केरल 1.7 कर्नाटक 1.7 तमिलनाडु 1.6 वेस्ट बंगाल 1.6 अंधेरा प्रदेश 1.6 जम्मू कश्मीर  1.5 है यदि TFR  कम हो 2.1 से  जैसे की ऊपर है कई राज्यों के और आने वाले  दिनों मे बच्चे राज्यों के भी होंगे क्योंकि हमारी जनसंख्या बहुत तेज़ी से नियंत्रित हो रही है आकड़ो के अनुसार तो फिर आबादी घटने लगेगी तो फिर बुज़ुर्गो की तादाद बढ़ जाएगी जो एक बड़ी समस्या है क्युकी एक समय के बाद बुजुर्ग काम नहीं कर पाएंगे तो युवा लोग को उनकी देखभाल करना होता है तब बुजुर्गो की आबादी बढ़ जाएगी और युवा कम होंगे ये एक समस्या होंगी   2011मे भारत का TFR 2.5 था 2016  मे भारत का TFR 2.3 है 2016 मे भारत का ग्रामीण TFR  2.6 था शहर मे 1.8 था यानी एक जनरेशन मे हमारी आबादी बढ़ेगी नहीं कम होंगी यानी हमारी जनसंख्या बढ़ नहीं रही है 2016 मे 13 राज्यों मे TFR रेट रिप्लेसमेंट रेट से कम है यानी इन राज्यों मे आबादी बढ़ेगी नहीं  कम होगी बुजुर्गो की तादाद बढ़ेगी युवाओ की तादाद कम होंगी यदि हम शहर की जनसंख्या देखे तो 19 राज्यों मे TFR 2.1से कम है यानि इन राज्यों मे जनसंख्या कम होंगी
आबादी बढ़ने कीे अनुपात 1981 2.3 1991 2.0 2018 1.8 यानि की 2018 मे  सबसे कम हुआ है यानी इसको दुगना करना होगा तो 70 साल लगेगा आबादी बढ़ने का दर इतना कम तब हुआ जब आबादी पर कोई बात नहीं हुई इसका कारण जागरूकता और शिक्षा है जनसंख्या बढ़ने का दर् तेज़ी से से गिरना उल्टा पढ़ सकता है ये मे नहीं कहता इकोनॉमिक्स सर्वे भी कहता है सरकार का सर्वे कहता है TFR 2.1 से कम हो तो भी खतरा है   ये बात अक्सर होती है की हम चीन को जनसंख्या मे 2030 मे पीछे छोड़ देंगे तो इसका क्या मतला हुआ यदि हमारी जनसंख्या कम हो रही तो हम चीन को कैसे पीछे छोड़ देंगे ये भी सवाल उठता है ये सच है हम चीन को पीछे छोड़ देंगे पर इसका कतई या मतलब नहीं की हमारी जनसंख्या बढ़ रही है दरअसल क्योंकि चीन मे 1.7 से TFR कम हो रहा है और हम 1.9 से कम हो रहे है तो स्वाभाविक है चीन से हम आगे होंगे  चीन की जनसंख्या की हाईएस्ट पॉइंट 2030 मे होंगी जब उनकी जनसंख्या 140 करोड़ होंगी भारत का पीक पॉइंट मानना जाता है 2060 मे उस समय भारत की जनसंख्या 160 करोड़ होंगी यानी भारत चीन को हर हाल मे बीट करेगा   ये पहला सच है लेकिन दूसरा सच ये है की भारत ने बहुत तेज़ी से चीज़ो को कंट्रोल किया है क्या जनसंख्या रिलिजन के ज़रिये मैटर करती है या गरीबी या जीने का तरीका ग्रामीण या शहरी माने रखता है 2005 से 2016 मे जो स्तिथि है उनको समझने की कोशिश कीजिये तो जानेगे 2005 मे  हिन्दू 2.9 मुस्लिम 3.4 ईसाई 2.3 सिख 1.95 बुद्ध जिसमे दलित भी थे 2.5 जैन 1.54 थे लिकिन आज की तारिक मे हिन्दू घट कर 2.13 पर मुस्लिम घट कर 2.6 पर आ गए है अब हिन्दू मुस्लिम मे  . 5 का रेश्यो रह गया है हिन्दू  मुस्लिम का अंतर जो  1 का था वो तेज़ी से घटा है लगभग 23% की रफ़्तार से मुस्लिम मे बच्चों के जननऐ  मे कमी आयी है हिन्दू मे 17.8 की कमी आयी है बुद्ध मे 22.7% की कमी आई है या सरकार का डाटा बताता है मुस्लिम और दलितों मे जनसंख्या कम  होने की 2 वजह है एक आशिक्षा के सात रोज़गार का ना होना दूसरा आर्थिक बदहाली कही ज़्यादा है लेकिन बावजूद इसके हमारे यहा जो पड़ा लिखा   तपका है शहर का उप्पर क्लास उप्पर मिडिल क्लास मिडिल मिडिल क्लास उनका रेट 1.5 आता है 2011 से भारत की जनसंख्या कम होती है और आने वाले वक्त मे और कम होती चली जाएगी क्युकी हमारे यहा जो रेश्यो दिखेगा युवा तपका जो 15 से 34 वर्ष के है ये मैक्सिमम पर थे 2010 इनकी मौजूदगी 35.11% थी और जो भारत की जनसंख्या थी वह भी मैक्सिमम बढ़ती 2010-11 तक उसके बाद जनसंख्या का ढलान शुरू हो गया है अब घटने की स्तिथि है तो हम लोग उस पीरियड मे 1.5 के हिसाब से बढ़ रहे थे तो 2021 से 2031 के बीच मे 1% से भी निचे चले जायेगे


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