खाली हो सरकारी बंगला
ल्ली उच्च न्यायालय का सरकार से यह प्रश्न करना उचित है कि आखिर समय बीतने के बावजूद लोग सरकारी बंगला खाली क्यों नहीं कर रहे हैं? वास्तव में चुनाव में पराजित पूर्व सांसदों, विधायकों और सेवानिवृत एवं स्थानांतरित पूर्व सरकारी कर्मिंयों द्वारा सरकारी बंगला खाली न करना देश की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। बार-बार नोटिस देने के बावजूद लोग बंगले में जमे रहते हैं। हालांकि ऐसे उदाहरण भी हैं कि चुनाव में पराजय के बाद पूर्व सांसद, विधायक एवं मंत्री या पद से हटने के साथ नेता उस पद के लिए मिले बंगले को बिना कहे खाली कर देते हैं। ऐसा ही कुछ नौकरशाह एवं सरकारी कर्मी भी उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यही होना चाहिए। किंतु एक बड़ा वर्ग यह मानता ही नहीं कि पद चले जाने से सरकारी बंगले में रहने का उसका अधिकार ही खत्म हो गया। कुछ लोगों का प्रभाव इतना होता है कि स्थानीय प्रशासन उनको स्पर्श तक करने से बचता है। इससे समस्या नये जीतकर आए सांसद-विधायक, मंत्री और नवनियुक्त या स्थानांतरित होकर आए सरकारी कर्मिंयों को होती है। उनको राज्यभवनों से लेकर गेस्ट हाउसों या होटलों में रहना पड़ता है। यह व्यवस्था की विकृति है। कुछ राज्यों ने तो अपने यहां ऐसे नियम बना दिए हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित प्रमुख पदों पर काम करने वालों को स्थायी रूप से राजधानियों में निवास देने का प्रावधान है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में ऐसे नियमों को अवैध करार दिया एवं बंगले खाली करने का आदेश तक जारी किया। यह सभी राज्यों पर लागू होता है। कुछ ने इसे माना है और कुछ ने नहीं। कुछ ने इसे आधा-अधूरा माना है। जाहिर है, यह स्थिति पूरी तरह बदलनी चाहिए। यह संस्कृति विकसित होनी चाहिए कि कोई नेता सांसद-विधायक-मंत्री न रहे या सरकारी कर्मी सेवानिवृत्त और स्थानांतरण के साथ सरकारी निवास खाली कर दें। ऐसा न करने वाले कानून तोड़ते हैं तो फिर उनके साथ प्रशासन उसी तरह व्यवहार करे भले उनका काम कितना भी बड़ा क्यों न हो? अगर राजनीतिक नेतृत्व इस मामले पर निष्पक्ष और दृढ़ हो तो पुलिस एवं प्रशासन का काम आसान हो जाता है। दुर्भाग्यवश, भारत में लंबे समय से सरकारी बंगले में रहने से वीआईपी माने जाने की विकृत संस्कृति पैदा हुई है और इसके लिए लोग हरसंभव जुगत लगाते हैं। इस पर चोट किया जाना जरूरी है।
दहकती खबरें न्यूज चैनल व समाचार पत्र सम्पादक- सिराज अहमद सह सम्पादक - इम्तियाज अहमद समाचार पत्र का संक्षिप्त विवरण दैनिक दहकती खबरें समाचार पत्र राजधानी लखनऊ से प्रकाशित होता है । दैनिक दहकती खबरें समाचार पत्र भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त समाचार पत्र एवं उक्त समाचार पत्र का ही यह न्यूज़ पोर्टल है । निम्न नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं या हमें ईमेल कर सकते हैं - 9044777902, 9369491542 dahaktikhabrain2011@gmail.com
बुधवार, 20 नवंबर 2019
खाली हो सरकारी बंगला
Featured Post
आजात चोरों ने बैंक में चोरी की बडी घटना अंजाम देने का प्रयास किया
आजात चोरों ने बैंक में चोरी की बडी घटना अंजाम देने का प्रयास किया दहकती खबरें ब्यूरो सफलता न मिलने पर उठा ले गए सीसीटीवी का डीवीआर इटवा(सि...

-
युवा शक्ति क्रांति सेना के काशी प्रान्त मंत्री बने , शिवम पाण्डेय महेश सिंह दहकती खबरें प्रयागराज - युवा शक्ति क्रांति सेना की बैठक हुई...
-
उत्तर प्रदेश में चुनाव ड्यूटी करने वाले 700 शिक्षकों की मौत: प्रियंका लखनऊ( दहकती खबरें - समाचार )। कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश पार्ट...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें